Wednesday, September 26, 2018

भोले की नगरी काशी


हर हर महादेव  


इन थोड़े से शब्दों में काशी को परिभाषित नहीं किया जा सकता , परन्तु  बनारस की एक झलक प्रस्तुत करने की मैंने अपनी नाकाम कोशिस है, तो  चलिए ---
बनारस ५००० वर्ष से भी पुरानी  नगरी, विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में एक और अलौकिक शहर बनारस का वृतांत एक बनारसी से अच्छा कौन कर सकता है , जो थोड़ी जानकारी मुझे ज्ञात है वो मै वर्णित करने की कोशिस करता हु, कोई त्रुटि हो तो क्षमा कीजियेगा,और नहीं नहीं किये तो का उखाड़ लेंगे , ये जिन्दा शहर जो बनारस  है , यहां सब काम  लौ..... ड़े से होता है ,और भोसड़ी  के तो अभिवादन है।  लगभग २४ हज़ार से भी ज्यादा मंदिरो  का शहर है बनारस।
बनारस शहर नहीं घर है , अपनापन कूट कूट के भरा है। आत्मा की शांति और शुद्धि भी अगर कही  है तो वो बनारस में ही है. 

बनारस को अवीमुक्ता जमीन के नाम भी जाना जाता है जिसका अर्थ जमीन जो कभी शिव से रहित नहीं है।
रुद्रवास भूमि जहां रुद्रा शिव का एक अभिव्यक्ति रहता है ,

यह वह शहर है जहां भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान के बाद अपना पहला समारोह उपदेश दिया था।
वर्तमान में, इसे सारनाथ के नाम से जाना जाता है।

वाराणसी नाम वरुणा और असि असी नदियों के नाम से लिया गया "वाराणसी" नाम है ,जो इस शहर में यहां संगम है।

वाराणसी को महाशमशान के शहर के नाम से भी जानते है क्युकी यहां चिताये कभी बुझती नहीं है।
भारत की सांस्कृतिक राजधानी  के बारे में आपको बताते है  बनारस की प्रसिद्धि किन  किन वजहों से है -

 १ - रामनगर पांडव रोड पर स्थित 8 वीं शताब्दी दुर्गा मंदिर, पास के पेड़ों में रहने वाले सैकड़ों बंदरों का घर है।
२- एक और लोकप्रिय मंदिर संकोमोचन मंदिर है, जो सिमियन-देव हनुमान को समर्पित है।
३- वाराणसी का भारत माता मंदिर शायद भारत का एकमात्र मंदिर है जो 'मदर इंडिया' को समर्पित है। 1936 में महात्मा गांधी द्वारा उद्घाटन किया गया, इसका संगमरमर में नक्काशीदार भारत का एक बड़ा राहत मानचित्र है।
४-पूजा के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों में भगवान गणेश का साक्षी विनायक मंदिर, काल भैरव मंदिर, नेपाली मंदिर, नेपाल के राजा द्वारा नेपाली शैली में ललिता घाट पर बनाया गया, पंचगंगा घाट के पास बिंदू माधव मंदिर और ताल्लंग स्वामी मठ
५- एक और नया मंदिर 1964 में भगवान राम के सम्मान में तुलसी मानस मंदिर दुर्गाकुंड नामक स्थान पर बनाया गया था, जहां तुलसीदास ने रामायण के महाकाव्य के सर्वव्यापी संस्करण रामचरितमानों को बनाया था। इस मंदिर की दीवारें भगवान राम के शोषण को दर्शाते हुए दृश्यों और छंदों को सजाती हैं।इसके अलावा
६-काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी में अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं। भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में एक लिंगम-शिव का भौतिक प्रतीक है जो महान महाकाव्य के समय वापस जाता है। स्कंद पुराण ने वाराणसी के इस मंदिर को शिव के निवास के रूप में उल्लेख किया है, और इसने मुस्लिम शासकों द्वारा विभिन्न हमलों के हमले को रोक दिया है।
यह दुनिया के सबसे पवित्र शहर के लिए जाना जाता है जहां लाखों आगंतुक गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए जाते हैं।
ऐसा माना जाता है की काशी भगवान शिव और देवी पार्वती का घर था और प्रचलित मत है कि यदि मृत्यु के बाद यहां व्यक्ति का दाह संस्कार किया गया हो तो वह मोक्ष प्राप्त कर लेगा। सुप्रसिद्ध हरिश्चंद घाट और माणिकर्णिका घाट हैं जहां दैनिक कई हज़ार मृत शरीर को दफनाया जाता है।


मकर संक्राति शिवरात्रि और होली बनारस के प्रमुख त्योहार है मकर संक्रांति और महा शिवरात्रि के अवसर पर लाखों तीर्थयात्री अपने पापों को धोने के लिए दुनिया भर से आते हैं, गंगा जी में स्नान करके भगवान् की उपासना करते है।


दूसरी तरफ, प्राचीन काल से आज तक एक धार्मिक शहर होने के अलावा यह प्रमुख शिक्षा और सांस्कृतिक केंद्र है। शहर में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कई देशों के छात्रों के लिए शिक्षा का मुख्य स्रोत है।
संस्कृत की शिक्षा बनारस की प्रमुख शिक्षा हुवा करती थी , आज भी विदेशी मेहमान बनारस में कई वर्षो तक रहकर संस्कृत का अध्ययन कर रहे है।


काशी योग साधना और संस्कृत विद्या का ज्ञान केंद्र रहा है ,यह वह शहर है जहां आयुर्वेद और योग प्राचीन के लिए प्रमुख स्थान ले लिया गया था.



हजारो साल पहले से बनारस व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख केंद्र रहा है ,

यहां हिंदी के विश्वप्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेम चंद का भी घर है जिसने हिंदी साहित्य में एक महान नाम अर्जित किया। महान कवि कबीर दास, और संत रवि दास जी जैसे महान विभूतिओं से भरी हुइ नगरी का नाम काशी है। वाराणसी ने सभी सांस्कृतिक गतिविधियों को विकसित करने के लिए सही मंच प्रदान किया है।
यह लिखते हुवे मेरे ह्रदय में जो भाव है वो मै यहाँ परिभासित करने में असमर्थ हूँ।

बनारस बुनकरी और हथकरघा उद्योग में सबसे आगे रहा है.
नरेंद्र मोदी जी जो २०१४ से भारत के प्रधानमंत्री है , उनका संसदीय क्षेत्र काशी ही है , तो उन्होंने वाराणसी में व्यापार और वाण्जिय के प्रोत्साहन के लिए अनेको कदम उठाये है।
सारनाथ: बौद्ध स्थल 


"Banaras is older than history, older than tradition, older even than legend and looks twice as old as all of them put together"- Mark Twain


और BHU बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी कैसे भूल गए , यहां  का पिया मिलम चौराहा और मधुबन पार्क तो इश्क़ फरमाने के लिए प्रसिद्द है। 
यह  वर्ष २०१५  में भारत में नंबर एक विश्वविद्यालय था, वैज्ञानिक आइंस्टीन अमेरिका महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन अपने देशवापसजाने से पहले अपने प्रारंभिक दिनों में यहां पढ़ाना चाहता था ,उन्होंने पंडित मालवीय जी को एक पत्र भी लिखा लेकिन किसी भी तरह से उन्हें समय पर यह नहीं मिला। भौतिक विज्ञानं के महान ज्ञानी नील्स बोहर ने 1962 में भौतिकी विभाग में अतिथि व्याख्यान लिया। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भारत छोड़ो आंदोलन और नागरिक अवज्ञा आंदोलन को बीएचयू के छात्रों द्वारा भारी समर्थन दिया गया था और कक्षाएं इन दिनों के दौरान बंद थीं। अब आप बीएचयू के आसपास हवा में राजनीति के पीछे कारण जानते हैं।
 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर 


अब आते है काशी के कोतवाल  के बारे में तो ऐसी प्रसिद्धि और मत है कि उनकी अनुमति के बिना कोई भी काशी (वाराणसी) में नहीं रह सकता है।
बनारस में अपना कार्यभार सँभालने से अहले कमिश्नर ,डीएम,  आईजी या कोई भी अधिकारी हो, सबसे पहले कालभैरव मंदिर जाते है , क्योकि वह काशी के संरक्षक है। 
काशी के कोतवाल भगवान कालभैरव मृत्यु के प्रतिक भगवान शिव का भयानक रूप है।
काशी में ऐसी कई चीजें हैं जो आश्चर्यजनक है पृथ्वी पर सबसे पुराना निवास स्थान, भारत की आध्यात्मिक राजधानी,विश्व का सबसे का पवित्र शहर, ज्ञान और सीखने का शहर ..और सबसे अच्छी चीज़ यहां की संस्कृति है , एक ऐसी संस्कृति जो लोगो को आपस में प्यार से जोड़े रहती है , यहां हर काम भाईचारे और आपसी सद्भाव से होता है ,
वाराणसी में अपना कदम रखते ही आप स्थानीय संस्कृति से प्रभावित होंगे और एक चीज़ है हो आप जीवनपर्यन्त नहीं भूलेंगे वो है घाट पर बिताये गए पल ,चाहे सुबह हो या शाम, सुबह - ए - बनारस तो सुप्रसिद्ध है परन्तु शाम को मनमोहक आरती हर किसी का दिल जीत लेती है.
आमतौर पर जब भी मै बनारस जाता हू , अपनी शाम गंगा किनारे ही गुजारता हू , मुझे नहीं पता कि मुझे वहां इतनी शांति क्यों महसूस होती है , ये मेरा कुछ अनुभव है जो मैंने आपके साथ साझा किया है।
एक शाम बनारस के नाम 

काशी वह जगह है जहां आप अपने जीवन की सच्चाई को बहुत ही आसानी से पा सकते है।
सुकून के पल 





 नंबर वन यारी : छायाचित्र २०१३ की यादो से 



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