Wednesday, September 14, 2016

शहाबुद्दीन

शहाबुद्दीन बाहर  आया है, सिवान का काल वापस आया है

September 14, 2016
जिला सिवान, साल 1996, एक इंसान चंदा बाबु, गल्ला पट्टी बड़ा बाजार इलाके में एक किराना दुकान थी, वहीं बगल में चंदा बाबु का घर भी था, अच्छा-खासा बड़ा परिवार, पति-पत्नी, चार बेटे-दो बेटियां। काफी मेहनती आदमी थे चंदा बाबु, इसी मेहनत के दम पे उन्होंने बड़हरिया स्टैंड के पास एक कट्ठा, नौ धुर जमीन रामनाथ गौंड से रजिस्ट्री करायी। यहाँ छ दुकानदारों का कब्ज़ा था, चंदा बाबु के कहने पर पांच ने तो दुकान खाली कर दी मगर छठे शख्स नागेंद्र तिवारी ने खाली नहीं किया। चंदा बाबु ने जमीन पे दुकान खोली और गोदाम भी बनवा दिया, उद्धघाटन समारोह में इलाके के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन और मंत्री अवध बिहारी चौधरी को भी बुला लिया, सब ठीक ही चल रहा था।

2004 में चंदा बाबु ने सोचा की दुकान का निर्माण नए तरीके से करवाना चाहिए लेकिन इसके लिए नागेंद्र का खाली करना जरुरी था। अब चंदा बाबु और नागेंद्र के बीच ठन गयी, नागेंद्र समझ गया कि दुकान तो उसके हाथ से गयी। उसने भी एक आखरी दावँ खेला, नकली कागजात बनवाये और दुकान मदन शर्मा को बेच दी, वैसे तो मदन पेशे से मैकेनिक था लेकिन उसके तालुकात शहर के दबंगों से थे।

चंदा बाबु को जब पूरी कहानी पता चली तो उन्होंने दुकान पर अपना ताला जड़ दिया, उसी रात उन्हें फ़ोन पे धमकी मिली की दुकान छोड़ दो नहीं तो अंजाम बुरा होगा। धमकी का असर भी हुआ और अगले ही दिन लगभग आधा दर्जन लोग उनके घर पहुँचे, गाली-गलौच की और चाभी छीनकर दुकान खोल दी। उन लोगों ने कहा कि अगर दुकान नहीं देना चाहते हो तो दो लाख दे दो हम कुछ नहीं करेंगे, ऐसा साहेब का आदेश है(साहेब यानि शहाबुद्दीन)। चंदा बाबु को लगा की साहेब उनकी दुकान का उद्धघाटन करने आये थे तो अब उनकी समस्या का समाधान भी करेंगे।

12अगस्त 2004, दिन था गुरुवार, चंदा बाबु सिवान जेल पहुंचे, साहेब से कहा कि वे दुकान किराये पे देंगे मगर रजिस्ट्री नहीं करेंगे और दो लाख भी नहीं देंगे इतना सुन के साहेब को गुस्सा आ गया और गुस्से में चंदा बाबु से कहा की सामने से हट जाओ। चंदा बाबु उदास होकर घर आ गए मगर तय किया की दो लाख नहीं देंगे, 14अगस्त को पता चला की उनके भाई की पत्नी को पटना में लड़का हुआ है, चंदा बाबु उसी दिन पटना के लिए निकल गए आगे क्या होने वाला है इस बात से बेखबर।

16 अगस्त की सुबह करीब 10 बजे आफताब, झब्बू मियां, राजकुमार साह, शेख असलम, मोनू उर्फ आरिफ हुसैन, मकसूद मियां समेत एक दर्जन लोग चंदा बाबु की दुकान पहुँचे, वहां उनके दो बेटे राजीव रौशन और सतीश राज मौजूद थे। उनलोगों ने पैसों की मांग की तो राजीव ने जवाब दिया की वे सिर्फ खर्चा-पानी दे सकता है। इतना सुनते ही वे लोग राजीव पे टूट पड़े और उसपे लात-घूंसों की बौछार कर दी, छोटा भाई सतीश अपने भाई को पीटते नहीं देख सका  और भागते हुए गोदाम के अंदर गया, वहां उसने शौचालय साफ़ करनेवाला एसिड जोकि उसके दुकान में बिकता था उठाया और मारपीट कर रहे लोगों पर फेंक दिया। राजीव पे भी कुछ छिंटे पड़े मगर वह उनके चंगुल से निकलकर बगलवाले मकान में छुप गया। बदमाशों के हत्थे चढ़ गया सतीश, उसे खींच कर उन्होंने बोलेरो में बैठा लिया और अपने साथ ले गए।

चंदा बाबु के बेटों ने अपने बचाव में शहाबुद्दीन से पंगा ले लिया था। एसिड के छींटे उन दबंगों पर पड़े थे जिनके नाम से पूरा सिवान काँपता था, बात जेल के सलाखों के पीछे कैद साहेब के कानों में भी पहुंची। साहेब की भृकुटि तन गयी, चेहरा गुस्से से लाल, ये तो सीधे-सीधे उनको चुनौती थी, आदेश हुआ, “तेजाब का बदला तेजाब से लिया जायेगा और ये सजा साहेब खुद देंगे।”

सतीश तो कब्जे में था ही, तलाश शुरू हुई राजीव की, नहीं मिला तो बड़हरिया गाँव में लूटपाट की और दुकानों में आग लगा दी फिर बदमाश पहुंचे गल्ला पट्टी, जहाँ चंदा बाबु की पुरानी दुकान थी। वहां पे चंदा बाबु का दूसरा लड़का गिरीश मौजूद था, दबंगों ने उसे ही जबरदस्ती बाइक पे बैठा लिया। इधर राजीव भी छुपते-छुपाते कचहरी पंहुचा, वहां कुछ लोगों से बात की और दक्षिण टोला के तरफ जा रहा था तभी रामराज रोड के पास वो भी पकड़ा गया। अब तीनों भाई शहाबुद्दीन के कब्जे में थे, उन्हें उसके गांव परतापुर ले जाया गया

बदले की आग में जल रहा शहाबुद्दीन सलाखों से निकल कर अपने घर पहुंचा और तीनों गुस्ताखों को उसके सामने पेश किया गया, शहाबुद्दीन और उनके लोगों ने गिरीश(22वर्ष) और सतीश(20वर्ष) को जिन्दा तेजाब से नहला दिया। वह दोनों जल कर राख हो गए और राजीव दिल पे पत्थर रख के इस खौफनाक मंजर को देखता रहा, आप उसकी दशा का अंदाजा भर लगा के सिहर उठेंगे, ठीक वैसे ही जैसे मेरे हाथ काँप रहे हैं इस कहानी को लिखते हुए। राजीव को समझ में आ गया कि वे लोग चंदा बाबु को पैसे देने के बहाने बुला के उन दोनों को भी मार डालेंगे, वह मौके की तलाश में था देर रात उसे मौका मिला और वह उनके चंगुल से भाग निकला।

इधर शहर में सुबह से शाम तक घटना की चर्चा होती रही। लोग खुल कर बोल तो नहीं पा रहे थे, लेकिन उनका दिल तड़प रहा था। सिवान के ही मुसाफिर चौधरी ने हिम्मत जुटाई और चौक-चौराहों पर खुलेआम बोल दिया की चंदा बाबु के बेटों को इतनी निर्ममता से नहीं मारना चाहिए था। यह बात साहेब के लोगों को पता चली, चंद मिनटों के अंदर ही उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी। अब तो सबकी जुबान पर ताला लग गया।

चंदा बाबु का पूरा परिवार तितर-बितर हो गया, चंदा बाबु पटना में छुपे रहे और पत्नी कलावती देवी बाकि बच्चों को लेकर अपने गांव छपरा आ गईं । घटना के बाद कलावती देवी के आवेदन पर पहले अज्ञात लोगों पर अपहरण और हत्या का मामला दर्ज हुआ और बाद में शहाबुद्दीन का नाम डाला गया। आठ महीने तक परिवार के सदस्य आपस में मिल भी ना सके, फिर राजीव किसी तरह अपने घरवालों से मिला और पूरी कहानी सुनाई, कई महीने बाद चंदा बाबु ने बेटों का दाह संस्कार गायत्री परिवार के माध्यम से किया।

2011 में राजीव ने हिम्मत जुटाई और घटना के चश्मदीद गवाह के रूप में पेश हो गया, सुनवाई पे सुनवाई चलती रही। 19 जून 2014 को राजीव को फिर चश्मदीद के रूप में पेश होना था मगर 16जून, 2014 को डीएवी मोड़ के पास अपराधियों ने राजीव की गोली मार कर हत्या कर दी।

कहानी अच्छी थी ना? काश ये कहानी ही होती, लेकिन ये तोमैंने हकीकत बयां की है सीवान जिले की, यह बतलाने कीकोशिश की है कि ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर‘ बहुतों के लिए एककल्ट सिनेमा होगा मगर सिवान के बाशिंदों के लिए तो उनकेजीवन जिया आईना था। उन्हें उस समय की याद जरूर आईहोगी जब बिहार में दो सरकारें काम करती थी, एक पटना कीसरकार और दूसरी सिवान  में शहाबुद्दीन

80 के दशक में शहाबुद्दीन पे पहली बार मुकदमा दर्ज हुआ था, इसके बाद तो मुकदमों की बाढ़ सी आ गयी। उसके हौसलों को हद से ज्यादा बढ़ते देख पुलिस ने उसे हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। राजनीतिक गलियारों में शहाबुद्दीन का उदय तब हुआ जब लालू यादव की छत्रछाया में उसने जनता दल की युवा इकाई में कदम रखा, 1990 में विधानसभा का टिकट मिला, जीत दर्ज की, फिर 1995 का चुनाव भी जीत गया। 1996 में शहाबुद्दीन को लोकसभा का टिकट मिला और उसने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 1997 में राजद के गठन के बाद लालू यादव की सरकार बन जाने से शहाबुद्दीन की ताकत और बढ़ गयी।

शहाबुद्दीन कानून से नहीं डरता था, वह खुद ही कानून बनाता था, सिवान जिले में बगैर उसकी इजाजत के पत्ता तक नहीं हिलता था। पुलिस अधिकारियों पर हाथ उठा देने में भी शहाबुद्दीन को कोई हिचक नहीं होती थी। एक बार तो एक अधिकारी संजीव कुमार और अन्य पुलिसवालों को शहाबुद्दीन और उसके आदमियों ने खूब पीटा, इस घटना से सकते में आया पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। बिहार और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टुकड़ियों ने शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने के मकसद से उसके घर पर छापेमारी की। इस करवाई में 10पुलिसवाले मरे गये और “साहेब” फरार हो गए, मौके पे से 3 ऐके-47 भी बरामद हुई थी।

वक्त बदला, बिहार में बदलाव की दस्तक हुई, नितीश कुमार सत्ता में आये। राजद को बिहार की राजनीति से उखाड़ फेंका और शहाबुद्दीन पे भी शिकंजा कस गया। एक के बाद एक फाइलें खुलने लगी, बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि प्रतापपुर में उसके घर से छापेमारी के दौरान सेना के नाईट विज़न डिवाइस और पाकिस्तान में बने हुए हथियार भी मिले थे। “कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि शहाबुद्दीन के पाकिस्तान में अच्छे संपर्क थे।” कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई और वर्ष 2009 में उसके चुनाव लड़ने पे भी रोक लगा दी। इसी तरह नितीश कुमार सिवान  के लोगों के लिए मसीहा का रूप धरकर आये और शहर के लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई।

लेकिन वक्त ने एक बार फिर करवट ली, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और भाजपा का गठबंधन टूट गया, नीतीश ने लालू के साथ महागठबंधन बनाया और 2015 विधानसभा में शानदार वापसी भी की। वापसी असल में लालू यादव की हुई थी और जब लालू आये तो शहाबुद्दीन का भी बहार निकलना तय माना जा रहा था। वैसे तो ये गठबंधन होते ही शहाबुद्दीन के खौफ सिवान  में दोबारा आ गया था , राजीव की हत्या के साथ। शहाबुद्दीन जेल से अपना राज चला ही रहा था लेकिन शनिवार को वह आधिकारिक रूप से बाहर आ गया। उसके बाहर आते ही पटना से दिल्ली तक हलचल मच गई,चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।

शहाबुद्दीन ने भी बहार निकलते ही नीतीश को धत्ता बतलाते हुए लालू को अपना नेता माना और नितीश पे खूब निशाना साधा। जब मीडियावालों ने नीतीशजी से इस बाबत पूछा तो उन्होंने इन बातों को महत्वहीन करार दे दिया परन्तु कोई भी समझदार व्यक्ति नितीश कुमार के हावभाव से उनकी मज़बूरी समझ सकता है। कभी बिहार में लालू के जंगलराज को खुली चुनौती देने वाला शख्स आज इतना मजबूर हो चुका है कि कोई प्रतिकिर्या भी नहीं दे सकता मगर फिर भी मुझे नितीश कुमार से कोई संवेदना नहीं है। वह खुद की करनी का फल भुगत रहे हैं ।

आज शहाबुद्दीन बाहर नहीं आया है सिवान का काल वापसआया है।

यह बिहार में जंगलराज-2 की आधिकारिक घोषणा ही है, अब उन परिवारों पर पल-पल खतरा मंडरा रहा है  जिन्होंने शहाबुद्दीन पे केस दर्ज करवाया है।

नितीश जी आपको हर किसी को हिसाब देना होगा, उनजेडीयू कार्यकर्ताओं को आप भूल गए जो सिवान में मारे गए,उन लोगों की कहानियां भूल गए आप, उन निर्मम हत्याओं कोभूल गए?

क्या यही आपकी साफ़ छवि वाली राजनीति है? अगर ऐसा है तो फिर धिक्कार है आपको, नितीश जी आपने बिहारियों की उम्मीद को ताड़-ताड़ कर दिया है। वो उम्मीद जो वो आपसे लगाये बैठे थे की आप हैं तो फिर बिहार तरक्की के रास्ते पे ही चलेगा। शायद आपको वोट देने वाले आपका असली चेहरा नहीं देख पाए, वो चेहरा जो कुर्सी के लिए अपना ईमान बेच देता है, जी हां आपने अपना ईमान बेच दिया है और अब आपके साथ-साथ पूरे बिहार को भुगतना होगा।







Saturday, September 3, 2016

Narendra Modi

NarendraModi
#प्रधानमंत्रीजी का इंटर्व्यू -Network18
•सरकार बनने के बाद मैंने देश से निराशा का माहौल खत्म किया : पीएम मोदी
•देश आजाद होने के बाद GST के रूप में सबसे बड़ा बिल आया : पीएम मोदी
•बीमार अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार दी : पीएम मोदी
•जीएसटी से केंद्र और राज्यों के बीच अविश्वसनीयता का माहौल भी खत्म होगा : पीएम मोदी
•भारत को लेकर आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक का भरोसा भी बढ़ा है : पीएम मोदी
•आज भारत का डंका सारी दुनिया में बज रहा है : पीएम मोदी
•इस बार भारत की अर्थव्यवस्था को मौसम ने पूरा सपोर्ट किया है : पीएम मोदी
•देश में कारोबार करना अब पहले से आसान हुआ है : पीएम मोदी
•रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और इन्फॉर्म मेरी सरकार का लक्ष्य : पीएम मोदी
•अब सामान्य आदमी की जिंदगी पहले से अधिक आसान हो गई है : पीएम मोदी
•मैंने बदहाली का कच्चा चिट्ठा नहीं खोला : पीएम मोदी
•मुझे देश का पहला बजट पेश करने से संसद में पहले देश की राजनीति पर एक श्वेतपत्र लाना चाहिए था : पीएम मोदी
•मैं कमियां देखकर भी उन्हें ठीक करने का पूरा प्रयास करता हूं : पीएम मोदी
•मैं कभी बदले की भावना से काम नहीं करता : पीएम मोदी
•मैंने राजनीतिक कारणों से कभी किसी के खिलाफ फाइल खोलने का निर्देश नहीं दिया : पीएम मोदी
•ब्लैक मनी पर नया कानून बनने के बाद अब विदेशों में धन भेजने वाले बच नहीं पाएंगे : पीएम मोदी
•देश की जनता में मेरी सरकार को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं है : पीएम मोदी
•किसी भी सभ्य समाज को साम्प्रदायिक हिंसा और दलितों पर अत्याचारों जैसे मामलों से बचना चाहिए : पीएम मोदी
•जातिवाद के जहर से देश से बर्बाद हो रहा है: पीएम मोदी 
•सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए सभी को संभलकर बोलना चाहिए : पीएम मोदी 
•अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए देश और समाज में एकता एवं समरता जरूरी : पीएम मोदी
•गरीबों और गरीबी के नाम पर हमारे देश में जमकर राजनीति हुई है : पीएम मोदी 
•गरीबी से मुक्ति पाने के लिए गरीबों को सशक्त करना होगा : पीएम मोदी 
•शिक्षा और रोजगार से ही गरीबी से मुक्ति पाई जा सकती है : पीएम मोदी 
•दलित, आदिवासी और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मैंने बैंकों को निर्देश दिए हैं : पीएम मोदी
•स्किल डेवलपमेंट आज वक्त की सबसे बड़ी मांग है : पीएम मोदी 
•हर चीज फायदे और नुकसान के तराजू में नहीं तौलनी चाहिए : पीएम मोदी 
•हर चीज को चुनाव से जोड़कर देखना हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य : पीएम मोदी 
•वोट बैंक की राजनीति देश के विकास के लिए घातक : पीएम मोदी 
•भाजपा ने हमेशा विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा है और आगे भी लड़ती रहेगी : पीएम मोदी 
•विकास और विश्वास से ही कश्मीर समस्या का हल संभव : पीएम मोदी 
•भ्रष्टाचार खत्म करना हमारी सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य : पीएम मोदी 
•अब यूरिया की कालाबाजारी पूरी तरह रुक गई है : पीएम मोदी 
•टेक्नोलॉजी और अकांटेबिलिटी और नीति आधारित कामों से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना संभव है : पीएम मोदी
•प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैंने कभी मीडिया को मसाला नहीं दिया
•मुझे यहां तक पहुंचाने में मीडिया का बड़ा योगदान रहा है : पीएम मोदी
•मुझे गाली देने वालों को मैदान में लाकर भी टीआरपी बढ़ाता है मीडिया : पीएम मोदी
•असली-नकली मोदी कुछ नहीं होता, मेरे अंदर भी एक इंसान है: पीएम मोदी
•किसी भी बात सुनना और समझना मेरे स्वभाव का हिस्सा है : पीएम मोदी
•मुझे जानने के लिए आपको राजनीतिक चश्मा अलग रखना होगा : पीएम मोदी
•मैं पुराने दिनों का बोझ अपने पास नहीं रखता : पीएम मोदी
•मुझे काम से कभी थकान नहीं होती, काम करने का संतोष होता है : पीएम मोदी
•विवेकानंद जी के विचारों का मुझ पर काफी प्रभाव रहा है : पीएम मोदी 
•हारने से भी खिलाड़ियों की मेहनत और तपस्या कभी कम नहीं होती, मीडिया को उनकी तपस्या देश को दिखानी चाहिए: पीएम मोदी 
•मेरी यही इच्छा है कि मैं सवा सौ करोड़ भारतीयों में पूरी तरह खो जाऊं उनके लिए खप जाऊँ: पीएम नरेंद्र मोदी

भोले की नगरी काशी

हर हर महादेव    इन थोड़े से शब्दों में काशी को परिभाषित नहीं किया जा सकता , परन्तु  बनारस की एक झलक प्रस्तुत करने की मैंने अपनी ...