मोदी जी की लाहौर यात्रा का विरोध करने वालों को जवाब देती एक कविता:
जिसकी आँखों में भारत की उन्नति का उजियारा है,
जिसकी गलबहियां करने को व्याकुल भी जग सारा है!
अमरीका जापान चीन इंग्लैंण्ड साथ में बोले हैं,
घूम घूम कर जिसने दरवाजे विकास के खोले हैं!
जिसके सभी विदेशी दौरे सफल कहानी छोड़ गए,
बड़े बड़े तुर्रम खां तक भी हाथ सामने जोड़ गए!
यूरेनियम दिया सिडनी ने, रूस मिसाइल देता है,
बंगलादेश सरहदों पर चुपचाप सुलह कर लेता है!
उन्हीं विदेशी दौरों की अब खिल्ली आज उड़ाते हैं?
देश लूटने वाले उसको कूटनीति सिखलाते हैं!
कायम था ग्यारह वर्षों से, वो वनवास बदल डाला,
मोदी ने लाहौर पहुंचकर सब इतिहास बदल डाला!
जिस धरती पर हिन्द विरोधी नारे छाये रहते हैं,
जिस धरती पर नाग विषैले मुहँ फैलाये रहते हैं!
जिस धरती पर हाफ़िज़ जैसे लेकर बैठे आरी हों,
और हमारे मोदी जी की देते रोज सुपारी हों!
जहाँ सुसाइड बम फटते हैं रोज गली चौराहों में,
बारूदी कालीन बिछी पड़ी जहाँ सियासी राहों में!
जहाँ होलियाँ बच्चों के संग खेली खूनी जाती हों,
बेनजीर सी नेता भी गोली से भूनी जाती हों!
उसी पाक में पहुंचे मोदी, शोर मचाया संसद ने,
सभा बीच रावण की देखो पैर जमाया अंगद ने!
बिना सुरक्षा बिना योजना जाना एक दिलेरी है,
लगता है उलझन सुलझाने में बस कुछ पल की देरी है!
लाहौरी दरबार समूचा ही अंगुली पर नाचा है,
पड़ा मणीशंकर के गालों पर भी एक तमाचा है!
ये समूचा विश्व कहे अब देखो जिगरा मोदी का,
जांबाजी से भरा हुआ है कतरा कतरा मोदी का!
अंगारों को ठंडा करदे, उसे पसीना कहते है,
इसको ही तो प्यारे 56" इंची सीना कहते हैं!!
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